आह! वनवास...

कभी क्रिकेट का शौक नहीं रहा। लेकिन खेल के लिए भी दिलचस्पी बदलेंगी, इस मामले में भी, खुद के इतना सख्त होने के बाद भी! ऐसा तो नहीं सोचा था। ये भी देखने का हुनर है, जो विकसित करना होगा। चलो करेंगे, लेकिन थोड़ी मुबारकबाद तो मिले। ऐसे में अपने वनवास में इतना 'सह्दय' कुछ मिलने लगेगा, तो ये हुनर भी जल्दी मिलेगा। इसमें भी अच्छा लगेगा!
खैर, पीयूष मिश्रा को तो आप मुझसे ज्यादा जानते पहचानते होंगे। फिल्म इंडस्ट्री की वह ऐसी हस्ती बन चुके हैं, जो किसी 'ऑलराउंडर' से कम नहीं हैं। बॉलिवुड फिल्मों के साथ ही बीच बीच में वे कई दिल को छू लेने वाली शॉर्ट फिल्म्स में भी दिखाई देते रहते हैं।
इसी सिलसिले में उनकी एक और शॉर्ट फिल्म आई है। इसमें एक पिता और जवान बेटे के रिश्ते को बड़े ही मार्मिक अंदाज में दिखाया गया है। दो पीढ़ियों के बीच में आज जहां तेजी से बदलती परिस्थितियां दूरियां बढ़ा देती हैं। बेटे के लिए पिता की चिंता और उम्मीदों के बीच कभी थो़ड़ी सी नोक-झोंक, ये सारी बातें आम जिंदगी में होती रहती हैं। लेकिन, वहीं ऐसी भी कई चीजें हैं, जो इस रिश्ते को वक्त वक्त पर मजबूती देती हैं।
आप जरूर सोच में पड़ गए होंगे कि ऐसी कौन कौन सी चीजें हैं। इस शॉर्ट फिल्म में पिता और बेटे को करीब लाने में क्रिकेट की भूमिका को बड़े ही नए ढ़ंग से दिखाया गया है।
पुरानी टीवी और लैपटॉप के बीच की दूरी की तरह पिता की भूमिका में पीयूष मिश्रा और बेटे की भूमिका में प्रबल पंजाबी के बीच की दूरी को क्रिकेट किस तरह कम करता है। इसे देखकर आपकी आंखे जरूर भर आएंगी।

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