इस हमाम में सब नंगे हैं। कहने की जरूरत नहीं बस समझने की जरूरत है। अभी यही बात समझने की है। वैसे कह दो तब भी कोई समस्या नहीं। ये भी एक अनुभव है, इसे तुम नजरअंदाज नहीं कर सकते। गलतियां करने से तुम पीछे नहीं हट सकते। थकान में काम नहीं कर सकते। कोशिश करते रहो कोशिश से भी कभी पीछे नहीं हट सकते। इसमें उलझन जैसी बातें हों तब भी उलझने से नहीं बच सकते। Welcome to the media world.
तुम ना चाहो तो भी इससे नहीं बच सकते। गलतियां करने पर डर से पीछे नहीं हट सकते। अपनी प्रतिबद्धता पर आलोचनाओं को बर्दाश्त नहीं कर सकते, तो खुद को कमजोर भी तो नहीं कर सकते। आप ना चाहकर भी समझौता नहीं कर सकते। अक्षरों का खेल है, भटकने से ध्यान बचा सको जितना उतना ही हो कर सकते। बस, हो गया जो उससे आगे ही हो बढ़ सकते। ये मजाक है, नंगेपन को नज़रअंदाज नहीं कर सकते, जितना बचोगे उतना घर्षण होगा, उससे किसी ना किसी तरह घिसकर ही निकल सकते।
ये तरीके हैं काम करने के। क्या सीखने आए हो, ये ऐसी परिस्थितियों में पड़ोगे, तभी संभलना सीखोगे। इनसे अलग मत हो जाओ। असावधानी पर चोट लगने के बाद भी इसे निपटाने तो आओगे ही। हम गलतियों की वकालत नहीं करेंगे। किसी को लिखेंगे नहीं तो भी तो आंखें बंद नहीं कर सकते। तुम जिम्मेदार हो, इससे खिलबाड़ नहीं कर सकते। ये चालाकियां भी तो आसपास होंगी। इनकी घटनाओं पर देखो तो सब देख पाओगे, जरा से खेल में जो फंसने की गुंजाइश पाओगे, वो किसी षडयंत्र की तरह दिखेगी। जब फंस गए हो तो फंसते जाओगे ही। Welcome to the real world.
लाभांवित कितना हुए, नुकसान उठाते-उठाते कितना गिरे
जटिल हो गया है बहुत कुछ, ये कितनी बार इसे देखेंगे
खामोशी में बैठे-बैठे डांटे कितनी सीखेंगे, शुरुआत में तो सीखेंगे
सीखने आए भाषा, लिखने आए जो संदेश, उसे बाजार में बेच बैठेंगे
नंगेपन की एक कहानी भी लिखेंगे, क्या ये सब भी सोचेंगे
जब हमाम नंगों के लिए ही बना है, तो फिक्र क्यों?
अब शर्म का ठेका तुम ही लेकर बैठोगे, तो उतना ही बोझ होगा
ये धर्म का पलड़ा तुम ही उठाओगे, उठाते-उठाते भले गिरोगे
एक दो गलतियों के लिए तो हमें कोई संभालेगा, खुद भी करोगे
अब तय करो, इस बाज़ार में खड़े हो बिकने के लिए हो तो बिको
बेच नहीं पाए, तो भी तो शर्मिंदगी से डूबोगे, व्यवहार में तो पाओगे
तय करो शर्मिंदगी में रहना है या गुनाह में डूबना है, असरदार होना है
शातिर संकेतों में भी तुम्हें इन बातों पर गौर करना है
आखिरी वक्त है दिन का, इस घड़ी में अच्छा ख्याल करना है
तुम्हें ये देखने के बाद सब भूलना है, फिर सब ठीक करना है
सब ठीक हो भी चला है, अधिकारों की इस देर में सब संभालना है
जिम्मेदारी में और जिम्मेदार बन जाना है
नंगेपन को देखना है, इसमें उदासीन बन जाना है
आंखें चुभेंगी, जलेंगी, लेकिन इसमें रहना है
Welcome to the difficult world.
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