समग्र बंद और चौखट


दरवाजे बंद करना तब आसान है
जब रास्ते खुले हों
दीवारें तो पहले से बंद करती रही हैं
पर दरवाजों का बंद करना
हर गति को रोक देता है

ये चालबाजी से नहीं हुआ हो!
ये बेमिसाल बंद बुलंद है
बेख़्याली से बंद ख़्याली तक
फिर हर सरहद की तरह
बस दहलीज तक सिमटना
और पैरों में पड़ें बेड़ियां, वो भी बंद

ये जिस्म को रोकने नहीं आया
ये तुम्हें पूरा ना जकड़ ले
ये आख़िरी शाम ना हो किसी की
इस बेतरतीब बंद दुनिया की
कहीं अब ना कहानी ही हो बंद!

उलझकर क्या करना
अब उलझनें भी हो बंद...

विशिष्ट

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