तिरस्कार भी ऐसा, जो कभी हिसाब ना मांगे
ये भी है पहेली- 'विकास' की, बूझो तो जानें...
ये भी है पहेली- 'विकास' की, बूझो तो जानें...
एक तरफ देश की सरकार ने हाल ही में अपने कार्यकाल के दो साल पूरे होने पर तमाम विज्ञापनों और कार्यक्रमों के जरिए अपनी उपलब्धियां और आंकड़े गिनाए। वहीं एक ऐसी खबर आई है, जो बताती है कि दुनिया में भारत एक ऐसा देश है, जहां सबसे ज्यादा संख्या में ऐसे लोग हैं, जो आज की तारीख में भी 'आधुनिक गुलामी' (मॉडर्न स्लेवरी) के जंजाल में फंसे हुए हैं।
भारत के 1.835 करोड़ लोग ऐसे हालात में रहने के लिए मजबूर है। जिनमें वेश्यावृत्ति से लेकर भीख मांगने के निम्न स्तरीय काम तक शामिल है। मंगलवार को जारी हुई एक अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट में इसका दावा किया गया है। इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि करीब 4.6 करो़ड़ लोग दुनिया भर में इस तरह की गुलामी करने को मजबूर हैं।
'आधुनिक गुलाम' लोगों की उस परिस्थिति को कहा जाता है, जिसमें वे बिना खतरों, हिंसा, जबरदस्ती, निराशा के रहने में सक्षम ना हों और शक्ति के दुरुपयोग के जरिए शोषण के लिए मजबूर हैं।
ऑस्ट्रेलिया के मानवाधिकार समूह 'वॉक फ्री फाउंडेशन' ने मंगलवार को '2016 ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स' जारी किया। इसके मुताबिक, दुनिया भर में करीब 4.6 करोड़ लोग आधुनिक गुलामी कर रहे हैं। जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। यह आंकडा़ साल 2014 में 3.58 करोड़ था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि गुलामी करने वाले लोगों की सबसे ज्यादा संख्या भारत में है। 1.3 अरब की आबादी में 1.835 करोड़ लोग गुलामी में फंसे हुए हैं। हालांकि, उत्तर कोरिया में यह आंकड़ा जनसंख्या का 4.37 फीसदी है, जहां की सरकार इस समस्या से निपटने के लिए सबसे 'कमजोर' सरकार है।
भारत के बाद इन एशियाई देशों का स्थान
इंडेक्स में स्लेवरी के मामले 167 देशों मे पाए गए हैं। लेकिन इसमें एशियाई देशों ने शीर्ष 5 स्थानों पर अपनी जगह पाई है।
भारत के बाद इस सूची में चीन (33.9 लाख), पाकिस्तान (21.3 लाख), बांग्लादेश (15.3 लाख), उजबेकिस्तान (12.3 लाख) का स्थान है। इंडेक्स में कहा गया है कि इन पांच देशों के आंकड़ों को अगर मिला दिया जाए, तो दुनिया भर के कुल गुलामों के 58 फीसदी इन्हीं देशों में हैं। कुल इस तरह इन पांच देशों में कुल 2.66 करोड़ स्लेव्स हैं।
53 भाषाओं में किए गए सर्वे-स्टडी
इस रिसर्च के लिए 25 देशों में 53 भाषाओं में इंटरव्यू किए गए। इस रिसर्च के लिए भारत में 15 राज्य स्तरीय सर्वे किए गए। ये प्रतिनिधित्वकारी सर्वेक्षण दुनिया भर की जनसंख्या के 44 फीसदी को कवर करते हैं।
जिन देशों में आधुनिक गुलामी की अनुमानित मौजूदगी जनसंख्या के अनुपात में सबसे ज्यादा है, उनमें शामिल देश हैं- उत्तर कोरिया, उजबेकिस्तान, कंबोडिया, भारत और कतर।
जिन देशों में जनसंख्या के अनुपात में यह अनुमानित तौर पर सबसे कम है, उनमें शामिल हैं- लेक्ज़मबर्ग, आयरलैंड, नॉर्बे, डेनमार्क, स्विटजरलैंड, ऑस्ट्रिया, स्वीडन, बेल्जियम, यूनाइटेड स्टेट्स, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड।
सरकारी कदम और प्रतिक्रिया
स्टडी में सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों को भी शामिल किया गया है। शामिल किए गए 161 देशों में से 124 देशों ने मानव तस्करी को अपराध माना है। यूनाइटेड नेशन्स ट्रैफिकिंग प्रोटोकॉल के तहत इसे अपराध माना गया है। 96 देशों ने नेशनल एक्शन प्लान बनाया है, सरकार की प्रतिक्रिया से समन्वय करने के लिए।
स्टडी में सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों को भी शामिल किया गया है। शामिल किए गए 161 देशों में से 124 देशों ने मानव तस्करी को अपराध माना है। यूनाइटेड नेशन्स ट्रैफिकिंग प्रोटोकॉल के तहत इसे अपराध माना गया है। 96 देशों ने नेशनल एक्शन प्लान बनाया है, सरकार की प्रतिक्रिया से समन्वय करने के लिए।
गौरतलब है, भारत में भले ही स्लेव्स की संख्या सबसे ज्यादा हो। पर इस समस्या से निपटने के लिए काफी अहम कदम उठाए गए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, "भारत ने तस्करी, गुलामी, जबरन मजदूरी, नाबालिग वेश्यावृत्ति और जबरन शादी को अपराध माना है। भारत सरकार मानव तस्करी को लेकर कानूनों को और कठोर कर रही है। बार बार ऐसा करने वालों के लिए कठोर दंड की व्यवस्था की जा रही है। यह पीड़ितो को संरक्षण और उनकी भलाई के लिए समर्थन भी करता है।"
समस्या से निपटने में ये देश रहे नाकाम
जो देश इस समस्या से निपटने के लिए सबसे कम काम कर रहे हैं। उनमें शामिल हैं- उत्तर कोरिया, ईरान, इरिट्रिया, इक्वेटोरियल गिनिया, हॉन्गकॉन्ग, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, पापुआ न्यू गिनिया, गिनिया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो और दक्षिण सूडान।
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यह लेख 31 मई 2016 को News24 वेबसाइट पर प्रकाशित हो चुका है
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