एकाग्रता की जरूरत है


कितनी एकाग्रता की जरूरत है?
बाध्यता के स्थान पर अविचल होने के लिए
जब बंधन नहीं है, तो क्यों ऐसा लगता है कि है?
इतर है किसी के, कर्म से 
ये जिस्म के कण से अंतरिक्ष में
हकीकत को छोड़कर किधर से किधर चले जाना
इस सुधीपन में किसे छोड़ना, किसे पाना?

मित्रता विशेष दीनताएं हजार!
ये धुन सुनने निकलेंगे तो मिलेंगे तमाम
ये किस तरफगार का आला है?
कोई नहीं चाभियों के लिए ना कोई ताला है
सब सुरंगें बहुतेरे स्थानों में, हमें खामोशी में भेज देंगीं
कहीं नहीं बचेगा कचड़ा, फिर उसे समेट देंगी।

उत्सर्जित क्या होता है, संक्रमित क्या होगा?
किस स्तर पर परिभाषाओं का अंत परिणाम होगा?
प्रवाह ऐसा रहेगा, तुम्हें चले जाना होगा
उत्तमता का प्रतीक देखते देखते पास लाना होगा
ये घनिष्टता का विषय कितना, किससे?
आह्लाद में बिठा, किसी अभिलाषा से मिलाप होगा।

निरंतरता ऐसी ही, ये क्षणिक तो नहीं
बीतती जाए, तो किस तरह का विश्राम होगा
ये है नहीं, किस कदर इसका उन्माद होगा
यही खोज तो है, दुनिया की जो दूर तलक नया पैगाम होगा
ये क्या पूरा साम्राज्य खोज में लगा मिलेगा।

अरे देर है अभी! उत्साह में धैर्य का भी काम होगा
एक मिला तो दूसरा भी तो उसके आस पास होगा
ये एक साथ रहने वाली वस्तुएं
अलग नहीं, विस्तृत हैं, बहुचर्चित नहीं
विषय अलग होंगे, पर इनकी विशिष्टता का प्रमाण साथ होगा।

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