कुछ 'स्थानीयता' यहां मिलेगी
चाहो तो इनमें 'जिंदगी' मिलेगी
उत्साह की एक एक सीढ़ी पर
चढ़ती सुरों की एक पूरी 'बरसात' मिलेगी
बंदगी इनके चेहरों और हर बाजे पर पड़ती थापों में मिलेगी
राहगीरी यह भी तो, अरे देखो तो
ये कौन सी दुनिया वाले, ये अपनी ही आत्मा वाले
कहां बसे, कैसे रहे, किस ओर झुके?
क्या आत्मीयता इनकी आपसी
कहीं भी ले जाएगी
चलो देख ही लो...
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