करिश्मे...

इंतजाम सारे दुनिया में ऊसर से हो जाएंगे, 
असर कितना भी हो, हम उलझ जाएंगे
इंसानी करिश्मे से जूझेंगे, ऊबड़ खाबड़ रास्ते पाएंगे
आह्लाद होगा फिर भी, हम जिंदगी सीख जाएंगे...

गिरती रहेगी रेत, तो क्या हुआ हम बीनेंगे हर कण
सूखे पत्तों में भी कहीं से तो हरियाली ढ़ूंढ लाएंगे
कतार में हैं, जितना होंगे दूर भले उतना देर से आएंगे
पर मिसाल सरीखे चंद इंसानों की गिनती में जल्दी आएंगे

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