कोई आंख देख ले और उनमें जुड़ाव
पल झुके झपकें पलकें
होठों से वचन रस रिसे
सीने का तारतम्य शुभ्र
केश इतने विशाल
आगोश में बुझ जाए मशाल
सब बिना अधिकार मिल जाए
कोशिश बिना, गुंजाइश
बिना!
मन मुलायम
मधुरम् हि मधुरम्
सरोवर कितने, झरने
झरने
तरसे कौन सराबोर हम
लाल ही लाल
पंखों की मिलावट देख लें
आनंदम् दिन रात
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