कल्पना से दूर... घनिष्टता

हम ख्याल इतने ही रखते हैं. अधूरे ना हों बस इससे डरते हैं. पूरे होते रहना एक उम्मीद रहती है, इसी उम्मीद के सहारे हम दूर तक चल सकते हैं. एक दूसरे का साथ इतना तो हसीन बना सकते हैं कि बस उसके सहारे पूरी ज़िंदगी की यात्रा पार की जा सके. एक लंबी यात्रा...

हमारी अपनी आवाज हमें कब तक सुनाई देती है. जब तक हम उसे सुनते रहें और अमल करते रहें. एक बार आपने उसे अनसुना करने की आदत डाली तो वो भी अपनी बेकदरी से नाराज हो सकती है. वो भी फिर हल्की पड़ती जाएगी. एक वक्त आएगा जब वो चुप हो जाएगी. आपको एहसास भी ना होगा. लंबे समय के बाद एक दिन झटके सा लगेगा कि कुछ सुनाई क्यों नहीं देता.

हमारी कल्पनाएं बहुत जल्दी ही अपने किनारे बदलती रहती हैं. ये काफी पैनी हो जाती हैं. एक दूसरे पर हावी होने लगती हैं. एक आती है कि दूसरी उसकी जगह लेना चाहती है. उसे वास्तविकता की तरह हो जाने में वक्त भी नहीं देतीं. इनमें गलाकाट प्रतियोगिता चलती रहती है. ज़िंदगी की सबसे बुरी लत ये प्रतियोगिता ही है. पर आपकी कल्पनाएं भी जब उन्हीं में उलझने लगें. एक को असलियत में आकार देने की मोहलत दिए बिना दूसरी कल्पना की तरफ लालायित करती रहें, तो जीवन बिल्कुल जटिल और बोझिल बनने में देर नहीं लगती. आप फुर्सत में होकर भी सुकून में नहीं होंगे. भूल जाएंगे एक दिन कि कभी फुर्सत नहीं थी तो सुकून की जरूरत महसूस होती थी. पर बस आपकी कल्पनाओं और प्रतियोगिताओं ने, जब सुकून हासिल हुआ तो फुर्सत छीन ली. 

कल्पनाएं और भ्रम में कोई ज्यादा फर्क नहीं हैं. एक सपना जैसे आपको बिल्कुल असलियत से दूर एक आभासी दुनिया में ले जाता है. आप उसमें हाथ पैर भी अपनी मर्जी से नहीं चला सकते. आपके विचारों से बिल्कुल भिन्न असलियत का आभास करा देते हैं. सब मनोविज्ञान की पहेलियां हैं ये, पर व्यक्ति के सामान्य जीवन में वो अनियंत्रित हैं. आकांक्षाओं के बीच में फंसी कल्पनाएं दिवास्वप्न की तरह हैं. कहीं स्थिरता नहीं लेने देतीं.

हम क्यों ना एक ऐसी जगह बनाएं जो घनिष्टता के सारे पैमानों को तोड़कर असीमित संभावनाओं से संपन्न हो. ये कोई संबंध हो सकता है. ये कोई हमराह हो सकता है. यहां पर आप अपनी सारी जटिलताएं और कल्पनाएं त्यागकर बिल्कुल समर्पित हो जाएं. ये बेहद प्राकृतिक होगा. प्रकृति हमेशा स्थापित सत्य है. ये अस्तित्वयुक्त है. कल्पनाएं अस्तित्वहीन हैं. हमें जरूरत है कि सत्य पर निर्भर हों. एक संबंध जो किसी भी प्रकार का हो सकता है, यहां आप पूरी तरह विलीन हो जाएं. सारे तर्कों से दूर...

नयापन जरूरी है. हर हाल में नयेपन के लिए...

 


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