क्या भिगो दिया है इस 'चाणक्य' से एहसास ने
इस अल्लाह वाले की आवाज ने
ये सांई वाला गाना गाने वाली ने
नूर चहकड़ां सा है, पत्तल वाली जीव
कतरन सा बटोरना
इश्क वाला, दीन ईमान वाला
जिस्म में रूह का फंसा होना
फिर उसका आज़ाद होना
ये भी मस्जिद है, किन जकातों में अज़ान में
ये फरीदी कौन है
करम सा क्या ये रब स्वीकार करे,
कौन सुल्तान चहकड़ां सा
है ये अल्लाह, सनम की मौजूदगी
कितनी भीतर तक गया है ये है
ये मौजूद ही है, इनकी रूह में हाथों में, आंखों में
दिख गया...
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