जीवन एक आध्यात्मिक प्रयोगशाला

जीवन विचरण के लिए एक रास्ता कहलाता है. हालांकि केवल कहे जाने में और सुने जाने में यकीन करने वाला जीवन भी कोई बहुत उम्दा उदाहरण नहीं हो सकता. बात जीवन की हो तो कुछ करने, कुछ साबित कर दिखाने वाला जीवन ही बेहतर हो सकता है. ये एक प्रयोगशाला बन सकता है. प्रयोग ऐसे जो कभी एक कल्पना हों और जब उन्हें किया जाए तो किसी आश्चर्यजनक नतीजे तक पहुंच जाएं. वो ऐसे निष्कर्ष दें जो दुनिया को हैरान कर दें. ये बेहतरीन हो सकता है.

हमारी क्षमताएं बहुत बड़ी होती हैं. हम उनपर ध्यान नहीं देते. कभी ये इतनी गुम हो जाती हैं कि आंखों से नहीं दिखतीं. कभी कोई झटके से आपको याद दिला दे तो लगेगा कि अरे ये तो हमारे भीतर कुछ था जो हम खो रहे थे. या आंखों के सामने होने के बाद भी दिखाई नहीं दे रहा था. ये ध्यान भटकने की तरह था. कुछ सुनाई देने के बाद भी अनसुना हो रहा था. अचानक कोई आपको टोक दे यहां. बस इतनी सी ही देर होती है कि आप चौक जाते हैं. अपने आपको ही हैरानी से देखने लगते हैं. अपनी मूर्खता पर खुद ही हंसते हैं. अपने भटकने को समझ जाते हैं. ये दूसरे की आवाज कभी कभी इतनी दैवीय होती है कि हमें उलझने से बचा लेती है.

दरअसल सब कुछ तो उलझन से निकलने की कवायद ही है. जितनी आसानी से उलझनों से निकल लिया जाए उतना ही जीवन आसान लगने लगता है. ये बड़ा जटिल हो जाता है अगर आप एक ख़ास मार्ग पर नहीं चल रहे होते. कुछ हमारे इंसानी दायरे से हटकर घटित हो तो जरूर हमें सोच लेना चाहिए कि ये हमारे हाथ का नहीं है. ये संपदा कुछ बाहर की ही है. इसे बनाए रखने की जुगत भी करनी चाहिए. सब कुछ उसे भटकाव से बच निकलने का रास्ता ही लगने लगेगा. बेतरतीब सा कुछ जो बस आसान सा हो जाने को उत्सुक हो. कुछ अचरज सा दिखे, कुछ बड़ा अनोखा सा. जो लंबे समय से ना देखा हो.

हम थोड़ा आगे बढ़ने पर बहुत कुछ पीछे खो रहे होते हैं. हमारी जीवनशैली कुछ ना कुछ भ्रष्ट हो रही होती है. हम उसके परिणामों को देखकर समझ रहे होते हैं पर हर बार में निष्कर्ष पा ही लें ऐसा भी नहीं होता. हर वस्तु का उपयोग, हर संबंध का उपभोग, हर उदासीनता के पीछे का लगाव और हर प्रयोग के पीछे की वस्तुस्थिति एक परिणाम निर्धारित कर रही होती है. अगर इन सबको एक बड़े निष्कर्ष तक पहुंचाना हो तो जीवन को एक आध्यात्मिक प्रयोगशाला बनाना ही पड़ेगा. हर चीज अपने आप अनोखी हो जाएगी. आपकी हर गतिविधि किसी संरचना और व्यवस्था का हिस्सा लगने लगेगी. जब आप ऐसा महसूस करेंगे तो इतना ताकतवर हो जाएंगे कि फिर सारे रास्ते अपने आप पार हो जाएंगे. फिर ज्यादा प्रयास नहीं करना होगा. सब व्यवस्थित ढ़ंग से स्वतः संचालित होता प्रतीत होगा.

विषय इतना सा ही है कि जब भी मौका लगे, मुड़कर देखें जरूर. एक यात्रा की बारिकियों को जरूर महसूस करें. आनंद कहीं किसी एक क्षण में मतलब भर को मिल जाएगा, तो कभी उसकी कमी खलेगी भी फिर भी कुछ ना कुछ ऐसा मिल जाएगा जो रसदार होगा. हर मौसम में आपको जीवन स्वादिष्ट लगेगा. हालांकि ये विचार अपने आप में उपभोगवादिता का प्रवर्तक लगेगा, लेकिन आध्यात्मिक प्रयोगशाला में उपभोगवाद भी अपने आप एक प्रयोग मात्र है. वह उसका एक अंश मात्र है. वह उससे बड़ा कभी नहीं हो सकता. उसकी जटिलताओं में जाने का लाभ ही क्या?

विचारों को भी जटिल बनाने का कोई लाभ नहीं. अगर विचार ही जटिल होंगे तो प्रयोग भी जटिल, निष्कर्ष भी जटिल. व्यवस्था वही सफल हो सकती है जो सरल हो. सरलता हमेशा आकर्षक होगी. आकर्षण कुल मिलाकर अच्छा ही होता है. इसलिए जीवन का आकर्षण बनाए रखें. इससे कभी दूर ना हों और हर बार इसकी प्रयोगशाला में प्रयोग जारी रखें. ये रोज आपको नए निष्कर्षों पर पहुंचाएगी. जो विनोद और कल्पनाओं के बीच सामंजस्य बिठाने में आपकी मदद करेगी. यात्रा सुलभ होगी तो विनोद भी बना रहेगा. कोशिश जारी रखिए... 
















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