जब कथन गहराने लगे तो शयन हो
जब खतरा मंडराने लगे तो चयन हो
जब विष संतृत्त हो तब ही वमन हो
अतिरेक अपराधों का जब हो तो चरम हो
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आलीशान दुनिया के राज काज इतने संकुचित होकर रह गए
फसादी कारोबार में आए और कामगार सड़कों पर ही सो गए
ठिकाने कहीं होते कहां हैं विवादों के
जो एक बार मन में आए तो यहीं के हो गए
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कीर्ति उत्थान की एक वहम सी चीज है
जलवों में जो आए तो बस चुभती सी है
बाकी तो बस इरादों का खेल है दुनिया में
छलछलाते जश्नों में हर तरफ बदले में खौलती है
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